गुरुवार, 27 मई 2010

न वहां सुकून, न यहां चैन

पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न की शिकायत लेकर भारत आने वाले हिंदुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन सुकून की तलाश में अपना घर छोड़कर आए इन लोगों की मुश्किलें यहां भी कम नहीं हो पा रही हैं.
ताज़ा मिसाल राजस्थान के सरहदी ज़िले गंगानगर की है जहां हिंदू समुदाय के दो पाकिस्तानी युवकों ने अपनी-अपनी शादियाँ तय कीं। लेकिन जोधपुर में अधिकारियों ने उन्हें शादी करने गंगानगर जाने की इजाज़त देने से मना कर दिया. जिसकी वजह से पुलिस ने इन दोनों युवकों को इस ज़िले में आने की अनुमति नहीं दी.
असल में, भारत के वीज़ा नियमों के अधीन किसी पाकिस्तानी नागरिक को सीमावर्ती ज़िलों में जाने की अनुमति नहीं है.
छह हज़ार हिंदू अल्पसंख्यक भारत आए
विदेशी नागरिक पंजीयन कार्यालय के सूत्रों ने बीबीसी को बताया कि पाकिस्तान से हिंदू अल्पसंख्यक धीरे-धीरे भारत आ रहे हैं. पिछले कुछ साल में कोई छह हजार से ज़्यादा लोग भारत आ चुके हैं.
पाकिस्तान से भारत आए दिलीप और मुकेश दूल्हे राजा तो बन गए लेकिन अब इन पाकिस्तानी युवकों को अपनी बारात गंगानगर लाने के लिए अदालत की शरण लेनी पड़ी है.
हर बार हमारी शादियों में दूल्हे, दुल्हन और उनके परिजनों को आवाजाही के लिए अधिकारियों से मिन्नतें करनी पड़ती हैं. क्योंकि ज़्यादातर रिश्ते सीमावर्ती इलाके में होते हैं. आप सोचिए कितना तकलीफ़देह होता है जब बेटी दुल्हन बनी बैठी हो और अनिश्चय की तलवार सिर पर लटकी रहे.
- प्रेमदेवी, भारत आकर बसीं पाकिस्तानी महिला
उनके दादा प्रह्लाद ने जोधुपर हाई कोर्ट में गुहार लगाई. प्रह्लाद कई साल पहले भारत आ गए थे और उन्हें नागरिकता भी मिल गई थी. लेकिन दिलीप और मुकेश कुछ अरसा पहले ही भारत आए हैं.
एक और परेशानी ये थी कि उनकी भावी जीवन संगनियों ने भी पाकिस्तान से आकर गंगानगर में पनाह ले रखी थी और उनके लिए जोधपुर आना आसान नहीं था.
भारत में भी अडचनें
पाकिस्तान से भारत आए हिंदू अल्पसंख्यकों का नेतृत्व करने वाले सीमांत लोक संगठन के हिन्दू सिंह सोडा कहते हैं, “जोधपुर के अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा. लिहाज़ा हमें अदालत से याचना करनी पड़ी. विडंबना ये है कि अपनी जड़ों से उखड़े ऐसे मजबूर लोगों को भारत में भी न्याय मिलने में अड़चनें आती हैं.”
जोधपुर में पुलिस (सीआईडी) अधीक्षक सचिन मित्तल ने बीबीसी से बताया कि अब इन दोनों को गंगानगर जाने की अनुमति दे दी गई है.
शनिवार को जयपुर से ऐसी ही एक बारात लेकर एक बस जब गंगानगर गई तो आधी ख़ाली थी. क्योंकि ज़्यादातर बाराती पाकिस्तान से आए हिंदू थे और उन्हें डर था कि अगर बारात में गए तो वीज़ा नियम के उल्लंघन के आरोप में उन पर कार्रवाई हो सकती है.
पाकिस्तान से भारत आ बसी प्रेमदेवी कहती हैं, ''हर बार हमारी शादियों में दूल्हे, दुल्हन और उनके परिजनों को आवाजाही के लिए अधिकारियों से मिन्नतें करनी पड़ती हैं. क्योंकि ज़्यादातर रिश्ते सीमावर्ती इलाके में होते हैं. आप सोचिए कितना तकलीफ़देह होता है जब बेटी दुल्हन बनी बैठी हो और अनिश्चय की तलवार सिर पर लटकी रहे.”
हिंदू परिवारों की दास्तां
हिन्दू सिंह सोडा कहते हैं, “पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर सितम में तेज़ी आई है. यही कारण है कि हिंदू लगातार भारत आ रहे हैं. इनमें से ज्यादातर या तो दलित हैं या भील आदिवासी. ये लोग वहां भी हाशिए पर थे और यहाँ भी. अब भी कई हज़ार पाकिस्तानी हिंदू भारत में नागरिकता के इंतज़ार में हैं. क्योंकि केंद्र सरकार ने नागरिकता की फ़ीस काफ़ी बढ़ा दी है. इन ग़रीबों के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है.”
पाकिस्तान में बसे हिंदू परिवारों के लिए अपनी संतान के लिए योग्य वर या वधू खोजने के लिए भारत आना स्वाभाविक है. वहां कुछ जातियों में दूसरा गोत्र नहीं बचा और हिंदू रिवाजों के अनुसार एक ही गोत्र में शादी नहीं की जा सकती.
ये लोग वहाँ अपने आपको असुरक्षित महसूस करते हैं. महिलाओं के अपहरण और फिर उनके जबरन धर्म परिवर्तन जैसी शिकायतें भी हैं. हाल के वर्षों में तालिबान का प्रभाव बढ़ने से इन घटनाओं में तेज़ी आई है. वरना कोई क्यों अपना घर-देहात छोड़ेगा. यह एक बड़ी मानवीय समस्या है.
-हिंदू सिंह सोडा, सीमान्त लोक संगठन
इन हिंदुओं में सोडा राजपूत अधिक संख्या में हैं. भारत ने हाल में विवाह संबंधों के लिए भारत आने वाले सोडा राजपूत परिवारों के लिए वीज़ा नियमों में ढील का प्रावधान किया है. अब वे विवाह संबंधों के लिए अधिक समय तक भारत में रूक सकते हैं.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2000 से अब तक कोई छह हजार हिन्दू भारत आ चुके हैं. ये लोग वैध यात्रा दस्तावेज़ के साथ भारत आते हैं और फिर वापस जाने से इंकार कर देते हैं.
तालिबान के डर से हालात गंभीर
एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि हर सप्ताह थार एक्सप्रेस से तीन चार हिंदू परिवार भारत आ रहे हैं. उनमें से कुछ राजस्थान में तो कुछ गुजरात में बस जाते हैं और फिर नागरिकता के लिए आवेदन करते है.
सोडा कहते हैं, “ये लोग वहाँ अपने आपको असुरक्षित महसूस करते हैं. महिलाओं के अपहरण और फिर उनके जबरन धर्म परिवर्तन जैसी शिकायतें भी हैं. हाल के वर्षों में तालिबान का प्रभाव बढ़ने से इन घटनाओं में तेज़ी आई है. वरना कोई क्यों अपना घर-देहात छोड़ेगा. यह एक बड़ी मानवीय समस्या है.”
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में बारह हज़ार से अधिक पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता दी है।
नारायण बारेठ
बीबीसी संवाददाता, जयपुर

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित