सोमवार, 19 अप्रैल 2010

"मलीहाबादी आम" पर भी हमारी जीत

लखनऊ । लखनऊ से सटे मलीहाबाद क्षेत्र में लगभग सौ वर्षो से उत्पादित होने वाले फलों के राजा "मलीहाबाद दशहरी आम" भी पेटेंट वस्तुओं की श्रेणी में आ गया है। वस्तुओं व उत्पादों का भौगोलिक उपदर्शन (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) रजिस्ट्रेशन तथा संरक्षण कानून 1999 के तहत अब मलीहाबाद के दशहरी आम को अनुसंधान की लम्बी प्रक्रिया के बाद "ब्रांड" का दर्जा दे दिया गया है। आघिकारिक सूत्रों ने बताया कि पेटेंट होने के बाद अब दुनियाभर में केवल मलीहाबाद आम पट्टी क्षेत्र में किसानों को पैकिंग के लिए बक्से और दशहरी का "लोगो" भी उपलब्ध कराया जाएगा। "काकोरी" नाम की मांग मलीहाबाद से सटे काकोरी के दशहरी गांव में दशहरी आम का लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराना मूल वृक्ष है। अखिल भारतीय आम उत्पादक संघ के महामंत्री आमिर अब्बासी ने कहा कि दशहरी के पेंटेट हो जाने की खुशी तो है, मगर यह मलीहाबाद की जगह दशहरी गांव अथवा काकोरी के नाम से पेंटेट किया जाता तो और बेहतर होता। दशहरी गांव के इस मूल वृक्ष के बीजों से मलीहाबाद मे दशहरी आम का उत्पादन शुरू हुआ। संघ मलीहाबाद के नाम से हुए पेटेंट के विरोध में अपने साक्ष्य प्रस्तुत करेगा।"लोगो" इंटरनेट पर जल्द मलिहाबादी दशहरी की पहचान कराने के लिए इसकी वेबसाइट और लोगो जल्द ही इंटरनेट पर उपलब्ध होगा। आम उत्पादक माल को लोगो सहित विशेष्ा पैकिंग में न केवल देश में बल्कि विदेशों में भेज सकेंगे।दशहरी के पेटेंट हो जाने से इसका सीधा लाभ आम उत्पादकों को पहुंचेगा। दुनिया के कुल आम का 50 फीसदी से ज्यादा भारत में पैदा होता है और देश में आंध्र प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आम पैदा होता है। - इसराम अली, अध्यक्ष-ऑल इंडिया मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित