सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

राष्ट्रपति को ८ करोड़ हस्ताक्षर समर्पित



नई दिल्ली, जनवरी ३१, २०१०ः गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने, गाय को देच्च की सांस्कृतिक धरोहर घोद्गिात करने, भारतीय नस्ल की गायों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अलग से गोसंवर्धन मंत्रालय तथा गो सेवा आयोग गठित किए जाने तथा प्रत्येक राज्य में कामधेनु विच्च्वविद्यालयों की स्थापना किए जाने की मांगों को लेकर आज विच्च्व मंगल गो-ग्राम यात्रा के एक प्रतिनिधिमंडल ने च्चंकराचार्य स्वामी राघवेच्च्वर भारती के नेतृत्व में देच्चभर से एकत्र ८ करोड ३५ लाख ६७ हजार और ४१ हस्ताक्षरों के संग्रह को नई दिल्ली में महामहिम राद्गट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को सौंपा। साथ ही इस संबंध में उन्हें एक ज्ञापन भी दिया गया जिसमें निवेदन किया कि देच्चवासियों की आस्था की प्रतीक गोमाता तथा सम्पूर्ण गोवंच्च की हत्या पर प्रतिबंध लगे। प्रतिनिधिमंडल में योगगुरु स्वामी रामदेव भी उपस्थित थे। उन्होंने महामहिम राद्गट्रपति से गोआधारित स्वास्थ्य नीति बनाने के विद्गाय में आग्रह किया तथा गोमूत्र तथा गोमय से तैयार औद्गाधियों के बारे में जानकारी दी।
ज्ञापन में कहा गया है कि कामधेनु स्वरूप भारतीय गोधन द्वारा प्रदत्त वनौद्गाधि गुणवत्तायुक्त पंचामृत सदृच्च पंचगव्यों- गोदुग्ध, गोघृत, गोमय, गोमूत्र में सृद्गिट संरक्षक पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति जैसे आधारभूत तत्वों के पोद्गाण एवं द्राोधन की विलक्षण क्षमता है। यह कामधेनु प्रदूद्गाणमुक्त प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने वाली वात्सल्यमयी मां है। आदिकाल से ही हमारी प्राकृतिक संपदाओं से परिपूर्ण अध्यात्म प्रधान संस्कृति और समृद्धि का आधार रही है। इसके संरक्षण और संवर्धन की समुचित व्यवस्था करना आज भी हमारा प्राथमिक दायित्व है।
राद्गट्रपति ने प्रतिनिधिमंडल की बात को गंभीरतापूर्वक एक घण्टे तक सुना और अपनी ओर से आवच्च्यक कार्रवाई का भरोसा दिया।
राद्गट्रपति महोदया को ज्ञापन देने से पूर्व नई दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में हस्ताक्षर समर्पण के लिए समिति द्वारा एक विच्चाल जनसभा का आयोजन किया गया, जिसमें देच्चभर से आए हुए संत-महात्माओं सहित राजधानी दिल्ली के हजारों गोभक्तों ने भाग लिया तथा गोमाता की रक्षा करने का अपना संकल्प दोहराया। सभा का द्राुभारम्भ यात्रा के प्रेरणास्रोत गोकर्ण पीठ के द्रांकराचार्य स्वामी राघवेच्च्वर भारती द्वारा ध्वजारोहण तथा गोमाता का पूजन कर किया गया। तत्पच्च्चात्‌ संतों तथा गोसंरक्षण के विद्वानों ने गोरक्षा तथा सम्पूर्ण गोवंच्च के उपयोग पर गोभक्तों का मार्गदर्च्चन किया।
रा.स्व.संघ के निवर्तमान सरसंघचालक श्री कुप्‌.सी. सुदर्च्चन ने कहा कि संविधान में गोरक्षा का उल्लेख होने के बावजूद भी आज गोहत्या तेजी से हो रही है। उन्होंने गोमाता को विकास का आधार बताते हुए कहा कि गाय का दूध बहुपयोगी होने के साथ-साथ उसका गोबर तथा मूत्र भी उपयोगी हैं। उन्होंने च्चिच्चु के लिए मां के दूध के पश्चात्‌ गाय के दूध को सर्वोत्तम बताया। इसके अलावा उन्होंने गोमूत्र तथा गोबर से बनने वाले अनेक उत्पादों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
स्वामी राघवेच्च्वर भारती ने गोमाता को भारत और किसान की जीवनरेखा कहते हुए देच्च के राजनेताओं और मंत्रियों से आह्‌वान किया कि वे नेता तथा मंत्री के दायित्व का निर्वहन करने से पहले अपने पुत्र धर्म का पालन करें तथा गोरक्षा के हित में कार्य करें।
विच्च्व हिन्दू परिद्गाद्‌ के अंतरराद्गट्रीय अध्यक्ष श्री अच्चोक सिंहल ने कहा कि १९५२ में भी गोरक्षा के समर्थन में तत्कालीन राद्गट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद को १.७५ करोड़ हस्ताक्षर सौंपे गये थे। आज २०१० में भी हम गोरक्षा के लिए संघर्द्गा कर रहे हैं। लेकिन गोरक्षा का कोई कानून नहीं बन सका। ऐसा न हो कि हम हस्ताक्षर कराकर देते रहें और सरकार इस बारे में कुछ न सोचे।
सभा को पेजावर मठ के स्वामी श्री विच्च्वेद्गातीर्थ, स्वामी परमात्मानंद, दीदी मां साध्वी ऋतंभरा, श्री केसरी चंद मेहता, बौद्ध संत स्वामी राहुल बौधि तथा मुफि्‌त सुमम कासमी आदि ने भी संबोधित किया तथा श्री श्री रविच्चंकर, माता अमृतानंदमयी व डा प्रणव पंडया के संदेच्च उनके प्रतिनिधियों ने पढ कर सुनाये

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित