बुधवार, 13 जनवरी 2010

परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी bhagwat के कार्यक्रम - समाचार पत्रों से

स्त्रोत : दैनिक bhaskar

भारतीय जीवन पद्धति में है उन्नति का मूल: भागवत


जोधपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि दुनिया की सभी समस्याओं का हल भारतीय जीवन-पद्धति में है। इसे अपनाकर ही देश को उन्नत एवं समृद्ध राष्ट्रों की श्रेणी में लाया जा सकता है। कमला नेहरू नगर स्थित आदर्श विद्या मंदिर में मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एकत्रीकरण कार्यक्रम में संघ-प्रमुख ने स्वार्थपरक जीवन को समस्याओं की जड़ बताया और कहा कि भारतीय दर्शन त्याग एवं एकत्व का पक्षधर है। इसमें प्रकृति को जीवन से पृथक नहीं माना जाता। इसलिए प्रकृति का दोहन किया जाता है, शोषण नहीं, लेकिन दुनिया की अन्य संस्कृतियों का दर्शन ऎसा नहीं है। भागवत ने पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से पार पाने के लिए भी भारतीय जीवन शैली अपनाने की आवश्यकता जताई। इस दौरान उन्होंने उग्रवाद, नक्सलवाद, माओवाद एवं अर्थव्यवस्था की समस्याओं के लिए भी स्वार्थपूर्ण जीवन शैली को ही उत्तरदायी ठहराया। इस मौके संघ के प्रांत व महानगर इकाइयों के पदाधिकारी एवं स्वयंसेवक शरीक हुए। स्वयंसेवकों ने शारीरिक व दण्ड योग सहित घोषवादन की प्रस्तुति दी।


पाकिस्तान को सबक सिखाएं


पड़ोसी राष्ट्रों से दोस्ती की निभाने की केन्द्रीय नीति की समीक्षा की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि देश की सीमाएं असुरक्षित हैं। पाकिस्तान, चीन एवं बांग्लादेश शत्रुता निभा रहे हैं। भारत दोस्ती का हाथ बढ़ाता है और वे गोली चलाते हैं। ऎसे राष्ट्रों को कड़ा सबक सिखाना चाहिए। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ बने बैठे बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर भी चिंता जाहिर की।


मित्र नहीं है अमरीका


भागवत ने कहा कि कश्मीर का मसला अमरीका के भरोसे नहीं सुलट सकता। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन अमरीका चाहता है कि भारत तथा पाकिस्तान इस मुद्दे पर झगड़ते रहे और उसे फायदा मिले। उन्होंने भारत-पाक विवाद में अमरीका की स्थिति दो बिल्लियों के झगड़े में मक्खन लूट ले जाने वाले बंदर जैसी बताई। आसान नहीं संघ को समझनासंघ-प्रमुख ने कहा कि आरएसएस के विचार एवं कार्यो को समझना आसान नहीं है। संघ विरोधात्मक या प्रतिक्रियात्मक कार्य नहीं करता। निस्वार्थ भाव से चलने वाला संघ-कार्य अनोखा है। इसे जानने के लिए इसके अंदर आकर संघ के सिद्धांतों को समझना जरूरी है। उदारवादी है हिन्दूउन्होंने कहा कि विश्व के सभी सम्प्रदायों में कट्टरता भरी हुई है। इनमें साम-दाम-दण्ड या भेद से धर्मपालन के लिए मजबूर किया जाता है, लेकिन हिन्दू धर्म में समदृष्टि का सिद्धांत है। इसमें मिलजुल कर रहने और एकता रखने का भाव है।


राजनीति पर प्रहार


भागवत ने राजनीतिक स्वार्थपरायणता पर प्रहार करते हुए कहा कि राजनीतिक दल वोट की राजनीति के कारण अलगाव फैला रहे हैं, लेकिन इससे देश का नुकसान हो रहा है। उन्होंने राजनीतिज्ञों के मंसूबों को नाकामयाब करने का आग्रह किया।


स्त्रोत:http://www.patrika.com/news.aspx?id=307658


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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित