रविवार, 8 नवंबर 2009


गो हत्या के लिए हम स्वयं जिम्मेदार : बाबा बालकरामदास

महाराज


राउरकेला, नवंबर ७ – छत्तीसगढ गोरक्षा आयोग के अध्यक्ष बाबा बालकरामदास ने कहा कि आज ज्यादा दूध पाने के लालच में हम देशी गायों की उपेक्षा कर जर्सी गाय का पालन कर रहे हैं । जिससे देशी गायों को अनुपयोगी समझ कर आज का किसान गायों को गलत हाथों मेम बेच रहा है । जिससे गोहत्या अधिक हो रही है । उन्होंने कहा कि इस तरह गोहत्या के जिम्मेदार हम स्वयं है । यदि हम अपनी जिम्मेदारी समझ कर गो पालगुमला। स्वामी बालक दास त्यागी जी महराज ने शनिवार को लोगों से अपने घरों के गाय बैल की बिक्री नहीं करने का संकल्प कराया। श्री महाराज शनिवार को परमवीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम में पहुंचे विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा के स्वागत समारोह में उपस्थित लोगों से यह संकल्प कराया। उन्होंने कहा कि गाय हमारी माता है, माता सिर्फ इसलिए नहीं की वह दूध देती है बल्कि गाय समाज के समृद्धि का प्रतीक भी है। उन्होंने गाय की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गाय के गोबर से घरों की लिपाई होती है। सूखे गोबर का प्रयोग जलावन के रूप में किया जाता है। गाय के दूध से शरीर निरोग रहता है। मूत्र और दही औषधि का काम आता है। घी का प्रयोग पूजा और हवन में होता है। यहां तक की उसकी पूंछ पकड़कर लोग वैतरणी पार करते हैं। गाय का बछड़ा खेतों में काम करता है और गाय के मिहनत से उपजे अनाज से मनुष्य जिन्दा रहता है। इसके बावजूद वर्तमान परिवेश में गाय समाज में उपेक्षित है। लोग बूढ़े गायों को कसाई के हाथों बेचने का काम कर रहे हैं। तस्कर गायों को हांक इसी राह से बंगला देश भेजने का काम कर रहे हैं और गौ माता के भक्त मूक दर्शक बन कर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक मां जो छह माह तक दूध पिलाती है उसे जीवन भर मां कहते हो और जो जीवन भर दूध देती है उसे बूढ़ी होते ही कसाई के हाथों बेच देते हो। उन्होंने कहा कि अपने मां बाप जब बूढ़े होते हैं तो उन्हें क्यों नहीं बाजार में बेचते हो। उन्होंने कहा कि आज कृष्ण की भगवान के रूप में पूजा हो रही है तो इसका कारण गाय है। गाय नहीं होती तो कृष्ण की पूजा नहीं होता। उन्होंने कहा कि घर में कभी भैंस और भेड़ के गोबर से लिपाई नहीं होती। लिपाई जब भी होती है तो गाय की गोबर से। दान गाय की होती है। गाय की महिमा अपरम्पार है। उन्होंने कहा कि गाय समृद्धि का एंटीना है। गाय पालन से लक्ष्मी, शंकर,गोविन्द और शंकर का वास होता है। उन्होंने लोगों से देशी गाय पालने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अधिक दूध के लिए लोग आजकल जर्सी गाय का प्रयोग करते हैं। जर्सी गाय के बछड़ा का प्रयोग खेतों में काम करने लायक भी नहीं होता है। इसलिए उसे कत्ल खाना में बेचा जाता है। जिस गाय के माथे में मां बहने तिलक लगाते हैं उस गाय को कत्ल के लिए भेजा जाता है और लोग मूक दर्शक बनकर देखते रहते हैं। उन्होंने कहा कि अन्याय करने वाला से कम दोष अन्याय देखने वाला को नहीं होता है। जर्सी गायों से अधिक दूध के लिए इंजेक्शन और मशीन का प्रयोग होता है। वह भी गो हत्या से कम दोष नहीं है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के माध्यम से गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने और गो हत्या पर पूर्ण पाबंदी लगाने के मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। हस्ताक्षर अभियान का प्रति राष्ट्रपति को सौंपी जायेगी और गो हत्या पर पूर्ण पाबंदी लगाने की मांग की जायेगी। परमवीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम में शनिवार को विश्व मंगल गौ ग्राम रथ यात्रा का भव्य स्वागत किया गया और गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने और गो हत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग से संबंधित 42 हजार छह सौ हस्ताक्षर स्वामी जी महराज को सौंपा गया। इसके पूर्व रथ यात्रा का स्वागत पारम्परिक तरीके से किया गया। न करें तो देश में गोहत्या और गोहत्यारों दोनों जड से समाप्त हो जाएंगे । उक्त बातें उन्होंने विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के लिए आयोजित कार्यक्रम में जनसभा को संबोधित करते हुए कहीं ।
बाबा बालकदास ने कहा कि जिस गोमाता दूध हम जीवन भर पीते हैं उसी गोमाता को उसके बुढापे में हम उसकी सेवा करने के बजाय चंद रूपए के लिए गलत हाथों में कटने के लिए भेजे देतें हैं । उन्होंने कहा कि यह देश राम व कृष्ण का देश है । जहाँ गोपालन कर भगवान गोपाल कहलाए इस देश में जब अक राम नाम रहेगा हम तब तक देश में गोवंश को समाप्त नहीं होने देंगें । उन्होंने कहा कि विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा गोवंश की रक्षा के लिए आयोजित किया गया जनजागृति आंदोलन है जो देश की सोयी जनता को गो रक्षा के लिए प्रेरित करेगा ।
संत बालकदास ने मौजूदा कानून व्यवस्था को नकारा बताते हुए कहा कि भारत देश के कई राज्यों में गोहत्या बंदी कानून के बावजूद भी भारी संख्या में गाय उन प्रदेशों से ट्रकों में भरकर दूसरे राज्यों में कटने के लिए भेजी जाती है । ऐसे में गोसंरक्षण के लिए कानून पर भरोसा नहीं किया जा सकता । उन्होंन हिंदवादियों से अपील करते हुए कहा कि जब माँ पर कोई हमला करता है तो हम कानून की ओर देखने के बजाय स्वयं मौकाबला करते हैं ठीक उसी प्रकार आज गोमाता की रक्षा के लिए हमें स्वयं ही शस्त्र उठाने होंगे ।
विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के प्रमुख के.ई.एन. राघवन ने कहा कि देश में बढ रही गोहत्या ही एक मात्र कारण है, जिससे अनेक प्राकृतिक आपदाएँ भारत में आ रही है । उन्होंने कहा कि बिना गाय के घी का कोई भी यज्ञ सफल नहीं हो सकता जीवनोपरांत भी हमें देने वाली गोमाता को आज हम भूल रहें हैं । यह मानव योनि का सबसे बडा दुर्भाग्य है ।
राघवन ने कहा कि ८४ लाख योनियों में केवल मात्रा गाय का मल शुद्ध एवं पूज्य होता है । उन्होंने बताय कि आज अधिकतर लोग यह धारणा रखते है कि दूध न देने वाली गाय अनुपयोगी है । जबकि बूढी गाय से भी हम अच्छी खासी आमदनी, उसके गोबर से जैविक खाद व मूत्र से औषधि बनाकर कर सकते हैं ।
विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा आज सुबह रांची से चलकर गुमला, सिमडेगा होते हुए उडीसा के राउरकेला पहुंची । जहाँ यात्रा का शानदार स्वागत किया गया । राउरकेला में आयोजित किए गए कार्यक्रम में युवाओं ने अत्यंत उत्साह के साथ पारंपरिक ढोल बजाकर नृत्य करते हुए यात्रा का स्वागत किया । गो ग्राम यात्रा के लिए आयोजित कार्यक्रम में हजारों की संख्या में गोभक्त उपस्थित थे । सभी गोभक्तों ने यात्रा के साथ आए संतों का आशीर्वचन लेते हुए गोसंरक्षण का संकल्प भी लिया ।
इसके पहले झारखंडा के गुमला जिला में गो ग्राम यात्रा के लिए आयोजित कार्यक्रम में मारवाडी युवा मंच, सरना समाज व वनवासी समाज के लोग भारी संख्या में उपस्थित थे । कार्यक्रम में यात्रा के स्वागत करते हुए वनवासी समाज के लोगों ने पारंपरिक नृत्य पेष किया ।



गौ हत्या पर प्रतिबंध को अंतिम सांस तक लड़ेंगे


सिमडेगा। विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा मुख्य रथ का शनिवार को यहां आगमन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य रूप से उपस्थित संत बालकरण दास जी भगवान कृष्ण की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया। बाबा ने अपने प्रवचन में श्रद्धालुओं से कहा कि लोग गौ माता की रक्षा के प्रति जागरूक हों। उन्होंने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग करते हुए लोगों से गौ हत्या बंद कराने के लिये सक्रिय होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गौ हत्या पर प्रतिबंध के लिये अंतिम सांस तक लडें़गे। श्री दास ने ने जिले को महान तपस्वी रामरेखा बाबा का क्षेत्र बताते हुए कहा कि गौ हत्या की बात कोई धर्म नहीं करता। उन्होंने हा कि मां तो अपने बच्चों को 6 माह तक दूध पिलाती है लेकिन गाय माता जीवन भर हमें दूध पिलाते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि अपने घर के गाय बैलों को मत बेचों इनकी सेवा करो। इससे पूर्व जिले में पहुंचने पर गौ ग्राम मंगल यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। यात्रा के दौरान ही लाखों लोगों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन तैयार किया गया है जिसे 30 जनवरी 2010 को राष्ट्रपति को सौंपा जायेगा। कार्यक्रम में यात्रा के राष्ट्रीय सचिव शंकरलाल जी, पूर्व संयोजक भाष्कर नाथ कुलकर्णी, राष्ट्रीय यात्रा प्रमुख राघवन जी, क्षेत्र संयोजक गुरूशरण प्रसाद, झारखंड संयोजक विजय घोष, सह संयोजक विनोद सिंह, यात्रा प्रमुख कृपा प्रसाद सिंह उपस्थित थे।


गाय-बैल नहीं बेचने का ग्रामीणों ने लिया


गुमला। स्वामी बालक दास त्यागी जी महराज ने शनिवार को लोगों से अपने घरों के गाय बैल की बिक्री नहीं करने का संकल्प कराया। श्री महाराज शनिवार को परमवीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम में पहुंचे विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा के स्वागत समारोह में उपस्थित लोगों से यह संकल्प कराया। उन्होंने कहा कि गाय हमारी माता है, माता सिर्फ इसलिए नहीं की वह दूध देती है बल्कि गाय समाज के समृद्धि का प्रतीक भी है। उन्होंने गाय की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गाय के गोबर से घरों की लिपाई होती है। सूखे गोबर का प्रयोग जलावन के रूप में किया जाता है। गाय के दूध से शरीर निरोग रहता है। मूत्र और दही औषधि का काम आता है। घी का प्रयोग पूजा और हवन में होता है। यहां तक की उसकी पूंछ पकड़कर लोग वैतरणी पार करते हैं। गाय का बछड़ा खेतों में काम करता है और गाय के मिहनत से उपजे अनाज से मनुष्य जिन्दा रहता है। इसके बावजूद वर्तमान परिवेश में गाय समाज में उपेक्षित है। लोग बूढ़े गायों को कसाई के हाथों बेचने का काम कर रहे हैं। तस्कर गायों को हांक इसी राह से बंगला देश भेजने का काम कर रहे हैं और गौ माता के भक्त मूक दर्शक बन कर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक मां जो छह माह तक दूध पिलाती है उसे जीवन भर मां कहते हो और जो जीवन भर दूध देती है उसे बूढ़ी होते ही कसाई के हाथों बेच देते हो। उन्होंने कहा कि अपने मां बाप जब बूढ़े होते हैं तो उन्हें क्यों नहीं बाजार में बेचते हो। उन्होंने कहा कि आज कृष्ण की भगवान के रूप में पूजा हो रही है तो इसका कारण गाय है। गाय नहीं होती तो कृष्ण की पूजा नहीं होता। उन्होंने कहा कि घर में कभी भैंस और भेड़ के गोबर से लिपाई नहीं होती। लिपाई जब भी होती है तो गाय की गोबर से। दान गाय की होती है। गाय की महिमा अपरम्पार है। उन्होंने कहा कि गाय समृद्धि का एंटीना है। गाय पालन से लक्ष्मी, शंकर,गोविन्द और शंकर का वास होता है। उन्होंने लोगों से देशी गाय पालने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अधिक दूध के लिए लोग आजकल जर्सी गाय का प्रयोग करते हैं। जर्सी गाय के बछड़ा का प्रयोग खेतों में काम करने लायक भी नहीं होता है। इसलिए उसे कत्ल खाना में बेचा जाता है। जिस गाय के माथे में मां बहने तिलक लगाते हैं उस गाय को कत्ल के लिए भेजा जाता है और लोग मूक दर्शक बनकर देखते रहते हैं। उन्होंने कहा कि अन्याय करने वाला से कम दोष अन्याय देखने वाला को नहीं होता है। जर्सी गायों से अधिक दूध के लिए इंजेक्शन और मशीन का प्रयोग होता है। वह भी गो हत्या से कम दोष नहीं है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के माध्यम से गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने और गो हत्या पर पूर्ण पाबंदी लगाने के मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। हस्ताक्षर अभियान का प्रति राष्ट्रपति को सौंपी जायेगी और गो हत्या पर पूर्ण पाबंदी लगाने की मांग की जायेगी। परमवीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम में शनिवार को विश्व मंगल गौ ग्राम रथ यात्रा का भव्य स्वागत किया गया और गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने और गो हत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग से संबंधित 42 हजार छह सौ हस्ताक्षर स्वामी जी महराज को सौंपा गया। इसके पूर्व रथ यात्रा का स्वागत पारम्परिक तरीके से किया गया।

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