शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

khabre विश्व mangal गोऊ gram यात्रा की






गोवंश के बिना विश्व मंगल की कामना नहीं
नादौन 8 october : विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के नादौन स्थित श्रीराम लीला मैदान में वीरवार सुबह नौ बजे पहुंचते ही पंडाल वंदे गो मातरम् के जयघोष से गूंज उठा।समारोह में भारत माता मंदिर हरिद्वार से यात्रा के साथ आए अखिलेश्वरानंद महाराज ने जनसमूह को संबोधित करते कहा कि जो देश आदिकाल से ही गोमाता का पुजारी था। वहां आज गोवंश की निर्मम हत्या की जा रही है जिसके लिए देश के कर्णधार शासकों की नीतियां जिम्मेवार हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे शासकों को न तो गोमाता की महिमा का पता है और न ही परलोक का ज्ञान है। उन्होंने कहा कि जब हमारे बुजुर्ग बूढ़े हो जाते हैं तो क्या हम उनके प्रति श्रद्धा का भाव नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि संपूर्ण गोवंश देश के विकास में काम आता है और इसके बिना भारत तो क्या विश्व के मंगल की कामना करना भी मुश्किल है।

उन्होंने गाय माता के प्रति वचनबद्धता के संकल्प से लोगों को प्रतिज्ञा भी दिलवाई। सभी लोगों से गाय को माता मानकर उसे सम्मान देने का आह्वान किया गया। समारोह यात्रा के प्रदेशाध्यक्ष महंत सूर्यनाथ ने कहा कि माता नाम ही ऐसा है जिसमें करुणा बसी है। सूर्यनाथ ने कहा कि जब-जब भी गोवंश का सम्मान हुआ भारत सोने की चिड़िया कहलाया।

इस अवसर पर दंगड़ी मठ के संत श्रीमद भक्ति प्रसाद विष्णु महाराज भी उपस्थित थे। समारोह में गोशाला भड़ाली भगोर के संस्थापक सुखदेव शास्त्री तथा भदरूं गोशाला के संयोजक पाधा मंशा राम को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर श्रीनिवास मूर्ति, कैलाश, वेद प्रकाश, विवेक, सोहन सिंह, विजय अग्निहोत्री, राजकुमार शर्मा, किशोर शर्मा, सुभाष, अजय सौंधी, जसवीर सिंह, दिनेश, प्रमोद कपिल, त्रिभुवन सिंह आदि उपस्थित थे।


गाय में समाहित हैं सभी शास्त्र – स्वामी अखिलेश्वरानंद
पठाणकोट, अक्तूबर ७ – गाय भारतीय समाज – जीवन के सभी पहलुओं को स्पर्श और प्रभावित करती है । गाय में अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, चिकित्साशास्त्र का समावेश है । यह कहना है स्वामी अखिलेश्वरानंद का । स्वामी जी विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के स्वागत के लिए पठाणकोट में आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे ।

स्वामी जी ने कहा कि गाय अपने आप में एक संपूर्ण विज्ञान है । गोमूत्र सभी रोगों की रामबाण औषधि है । यह संपूर्ण शरीर का शोधन करके रोगों का नाश करता है । उन्होंने कहा कि भारतीय शास्त्रों में गोविज्ञान की बात कही गयी है । गाय का दूध, मूत्र, गोबर आर्थिक विकास में उपयोगी है और वैज्ञानिक कसौटी पर भी खरे उतरे हैं । उन्होंने कहा कि गाय को अपने जीवन से दूर करन के कारण ही पंजाब की समृद्धि में कमी आयी है ।

इससे पहले कठुआ में आयोजित स्वागत सभा में बोलते हुए गो विज्ञान अनुसंधान केन्द्र के सुरेश धवन ने गाय की उपयोगिता और पंचगव्य को लेकर हुए आधुनिक शोधों के बारे में जानकारी दी । उन्होंने कहा कि बाजार में उपलब्ध घी बनाने की प्रक्रिया दोषपूर्ण है । बाजारु घी स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है । जबकि ठीक प्रकार से बनाया गया गाय का घी हृदयरोगियों के लिए भि लाभदायक है ।

यात्रा को जम्मू से हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करने पर नूरपुर में यात्रा का भव्य स्वागत किया गया । कांगडा में आयोजित स्वागत सभा में बोलते हुए ज्वाला देवी मंदिर के स्वामी सूर्यनाथ ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद पं. जवाहर लाल नेहरु और उनके समर्थकों के कारण गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाला प्रस्ताव संसद में पारित नही हो सका । उन्होंने गोशालाओं में सुधार करने की भी बात कही ।

गोकर्णा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य राघवेश्वर भारती ने आंकडो का हवाला देते हुए कहा कि १९४७ में एक हजार भारतीयों पर ४३० गोवंश उपलब्ध थे । २००१ में यह आंकडा घटकर ११० हो गयी । और २०११ में यह आंकडा घटकर २० गोवंश प्रति एक हजार व्यक्ति हो जाने का अनुमान है ।

उन्होंने कहा कि गोमाता की रक्षा करके ही भारतमाता और प्रकृति माता की रक्षा की जा सकती है ।

फिल्म अभिनेता सुरेश ओबेराय ने अपना व्यक्तिगत अनुभव बताते हुए कहा कि गोदुग्ध के सेवन से उनके पूरे परिवार में प्यार का माहौल बन गया है । उन्होंने कहा कि गोवंश के महत्व को तार्किक रूप से समझने की आवश्यकता है ।

विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा अब मैदानी हिस्से छोडकर पहाडी क्षेत्रों में प्रवेश कर चुकी है । लेकिन यात्रा के स्वागत कार्यक्रमों और जनसमुदाय की भागीदारी में कोई कमी नहीं आयी है

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित