मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

खबरे विश्व मंगल गोऊ ग्राम यात्रा की










अक्तूबर ५ – अस्सी करोड भारतीय जनता की आवाज है गौ ग्राम यात्रा


जालंधर, अक्तूबर ५ - पश्चिमीकरण के पीछे भागता आज का भारतीय अपनी परंपरा व संस्कृति से दूर होता जा रहा है । गोपालन भारतीय संस्कृति व परंपरा का आधार है, लेकिन जिस तरह से गोहत्या की घटनाएँ बढ रही है उसे देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय परंपरा व संस्कृति खत्म होने के कगार पर है । यह कहना है संत स्वामी सूर्य प्रताप का । श्री प्रताप ने विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के जालंधर में हुए पडाव में गो भक्तों को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं ।

संत प्रताप ने गो ग्राम यात्रा को ८० करोड भारतीय की आवाज बताते हुए कहा कि गाय को बचाना कुदरत को बचाने के समान है । गाय हमारी सुख समृद्धि की दाता है । गोसेवा सनातन धर्म का अभिन्न अंग है । गोदुग्ध के सेवन से ही भारतीयों ऋषियों में श्रेष्ठ आचरण और मेधा का विकास हुआ । संत प्रताप नें गो भक्तों को प्रेरित करते हुए कहा कि जीव कल्याण करना अनेक तीर्थ स्थानों के भ्रमण करने समान है ।

नामधारी संप्रदाय के संत श्री हरपाल सिंह ने कहा कि गोपालन सिक्खों के लिए भि अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण है । गोवंश की रक्षा हेतु संत रामसिंह के नेतृत्व में कूका विद्रोह हुआ था । जिसमें अनेक नामधारी वीरों ने बलिदान देकर गोभक्ति का अनूठा अदाहरण पेश किया था । उन्होंने कहा कि गो सेवा राष्ट्र सेवा के समान है और हम सभी भारतीयों को गोसेवा के लिये संकल्पबद्ध होने की आवश्यकता है ।

गो ग्राम यात्रा को जालंधर में प्रवेश करने पर गोभक्तों ने भव्य स्वागत किया और गोवंश की रक्षा के लिए संकल्प भी लिया । गो ग्राम यात्रा को देखने के लिये भारी संख्या में गोभक्त जगह जगह पर एकत्रित थे । स्थानीय प्रशासन की तरफ से यात्रा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे ।

इससे पहले फगवाडा के हरगोबिंद नगर मे यात्रा के स्वागत के लिएअ आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि बौद्धिक संपदा के वर्तमान दौर में गाय का आर्थिक महत्व बढ गया है । गोसंरक्षण का मुद्दा अब केवल सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दा नहीं रहा गया है, अब यह अर्थव्यवस्था का प्रश्न बन गया है । उन्होंने कहा कि गोसंरक्षण और गोसंवर्धन करने से आगामी २० वर्षों में भारतीय रूपया डालर और पौंड से भी महंगा हो जाएगा । ५ अक्तूबर की सुबह गो ग्राम यात्रा लुधियाना शहर में पहुंची । जहाँ पर गो भक्तों ने गो ग्राम यात्रा का फूल मालाओं से स्वागत किया । लुधियाना के हम्बडा रोड स्थित श्री गोबिंद गौधाम में यात्रा के स्वागत में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जहाँ यात्रा में शामिल संतों ने गोभक्तों को संबोधित किया । श्री गोबिंद गौधाम ट्रस्ट द्वारा श्री कृष्ण मंदिर के साथ ही बनाई गई गोशाला में लगभग २००० गायों को पाला जाता है । इस मंदिर में श्री कृष्ण की गोपियों के साथ महारासलीला का अद्भूत चित्रण किया गया है ।

अक्तूबर ४ – बरनाला में गौ ग्राम यात्रा के स्वागत के लिएअ उमडी भीड


बरनाला, अक्तूबर ४ - विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा को बरनाल पहुंचने पर स्थानीय लोगों की भीडा यात्रा का स्वागत करने के लिएअ उमड पडी । शहर में प्रवेश करने पर गोभक्तों ने कई स्थानों पर पुष्प वर्षो कर यात्रा का स्वागत किया किया । कई जगहों पर फलों का वितरण किया गया ।

स्थानीय रामबाग पार्क में विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा बरनाला समिति के तत्वावधान में आयोजित गोभक्तों की सभा को संबोधित करते हुएअ संत सूर्य प्रताप सिंह ने कहा कि पर्यावरण संकट के वर्तमान दौर में गाय को बचाने का मतलब कुदरत को बचाना है । उन्होंने कहा कि गाय का पालन ही सनातन धर्म है और गोपालन के बिना सनातन धर्म के स्वरूप की कल्पना करना मुश्किल हो गया है । उन्होंने कहा कि गोवंश की संख्या में कमी आने से ही किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहा है । संत श्री ने कहा कि गांव भारत की आर्थिक आजादी की इकाई है और गोवंश की संख्या में कमी आने के कारण यह इकाई नष्ट होने के कगार पर पहुंच गयी ।

संत चितप्रकाशानंद ने कहा कि भारतीय तन, मन एवं समाज को सुधारने के लिए गोपालन आवश्यक है । नामधाई संत स्वतंत्रपाल ने कहा कि गोवंश के संरक्षण के लिए ही नामधारी संप्रदाय की स्थापना हुई थी । महंत रामप्रकाश ने गोपालन को व्यवहार में लाने की उपस्थित जनसमुदाय से अपील की ।

स्वामी अखिलेश्वरानंद ने अपने समापन भाषण में लोगों से कटिबद्ध होकर गोसंरक्षण के लिए आगे आने की अपील की । उन्होंने कहा कि गोवंश को संरक्षित करने पर अगले २० सालों में हमारी अर्थव्यवस्था अमेरिका को भि पीछे छोड देगी । उन्होंने कहा कि संत आधुनिकता के विरोधी नहीं है । बल्कि पश्चिमी अंधानुकरण के विरोधी हैं ।

इस सभा में की संप्रदायों के संतों के अतिरक्त भारी संख्या में गोभक्त उपस्थित थे ।


अक्तूबर ४ – बठिंडा में गोसंरक्षण के लिए अनोखी पहल
बठिविश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा गोसंरक्षण के लिए विभिन्न स्तरों पर हो रहे प्रयोगों से भी लोगों को परिचित करा रही है । नई पहल करने वाले लोग गौ ग्राम यात्रा के पडाव में भागीदारी कर अपने अनुभवों को बांट रहें हैं । गौसंरक्षण के लिए एक ऐसी ही अनोखि पहल पंजाब के बठिंडा जिले में दिखने को मिली ।

बठिंडा में श्री गौशाला द्वारा ‘एक गाय मेरे परिवार के नाम’ से एक योजना २ वर्षों चलायी जा रही है । इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति अपने किसी रिश्तेदार की याद में एक गाय का भरण पोषण करने की जिम्मेदारी लेता है अथवा चारे के लिए १०० रूपए प्रतिमाह का व्यय वहन करता है ।

श्री गौशाला के कोषाध्यक्ष राजेन्द्र बाबा ने इस योजना के बारे में अधिक जानकारी देते हुए बतया कि इस योजना से फिलहाल लगभग ३०० गोभक्त जुडे हुए हैं । उन्होंने कहा कि यह योजना गोवंश की दुर्दशा और गोभक्तों की मांग को ध्यान में रखकर बनायी गयी थी ।

गौशाला की तरफ से शहर में रेहडियों की व्यवस्था की गयी है । इन रेहडियों के जरिए खर से निकले फल, सब्जी के छिलके, बचा हुआ भोजन और चोकर इत्यादि को गौशाला तक पहुंचाया जाता है । उन्होंने बताया कि दान की राशि पर आयकर विभाग से छूट भी प्राप्त होती है । उन्होंने कहा कि गौशाला के नाम से फिक्स डिपाजिट कराने की भी योजना है । इस योजना में डिपाजिट का ब्याज गौशाला में गोसंरक्षण के मद में खर्च किया जाता है ।

अक्तूबर ४ – स्वावलंबी जीवनपद्धति का आधार है गोवंश

बठिंडा, अक्तूबर ४ - अग्रेजी की शिक्षा पद्धति के कारण पनपी नौकरी की मानसिकता के कारण भारत की स्वावलंबी जीवनपद्धति नष्ट होती जा रही है । गोवंश को केन्द्र मानकर भारतीय चिंतकों द्वारा खडी गयी अर्थव्यवस्था में शांति और समृद्धि दोनों मौजूद थे । लेकिन उपभोग को विकास मानने वाली वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने मनुष्य को सुविधाएँ तो प्रदान की है । लेकिन शांति को छीन लिया है । यथ कहना है अखिल भारतीय सेवा प्रमुख सीताराम केदिलैया का । श्री केदिलैया विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा के बठिंडा पडाव में गोभक्तों को संबोधित करते हुए यह बातं कहीं ।

श्री केदिलैया ने कहा कि भारत को जीवनशाक्ति प्रदान करने वाले तत्वों की सतत उपेक्षा के कारण इस देश में हर स्तर पर संकट बढता जा रहा है । विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा भारत की जीवनशक्ति को बढाने और स्वत्व को स्थापित करने का प्रयास है । उन्होंने कहा कि सरकार गोवंश के संरक्षण की भारत में एक शानदार परंपरा रही है । भगवान राम गौवंश की संरक्षण के लिए शपथ लेते हैं तो भगवान कृष्ण को गौप्रेम के कारण ही गोपाल कहा गया । उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति पर छाए संकट के बादल को गोवंश के संरक्षण और संवर्धन के जरिए टाला जा सकता है ।

बठिंडावासियों में विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा का भव्य स्वागत किया । अनेक पंथों एवं संप्रदायों के संतों ने यात्रा के स्वागत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर गोसंरक्षण के लिए अपना संकल्प प्रकट किया ।

इससे पहले यात्रा ने राजस्थान के गंगानगर से पंजाब में प्रवेश किया । अबोहर में गो भक्तों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया । मुक्तसर जिले के मलौत मण्डी में स्वागत के लिए आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए स्वामी अखिलेश्वरानंद ने लोगों को गोसंरक्षण के लिए संकल्पबद्ध कराया । मलौत में यह कार्यक्रम धन्नाभगत गौशाला के तत्वावधान में आयोजित किया गया था । इस कार्यक्रम में बूछडखाने ले जायी जा रही १८ गायों को बचाने के लिए तीन पुलिसकर्मियों को संतों द्वारा सम्मानित किया गया । लोगों को गो संरक्ष्ण के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए गए । मलौत जैसे ग्रामीण इलाके में भी विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा और उसके महत्व के बारे में लोग जागरुक दिखे ।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित