शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

रक्षा में लापरवाही

यदि यही हाल बदस्तूर जारी रहा तो हम युद्ध में पाकिस्तान का भी मुकाबला नहीं कर पाएंगे कुप्रबंधन और घोटालों के कारण कई महत्वपूर्ण सौदे नहीं हो पाए जिससे हमारी रक्षा क्षमता दांव पर लग गई। दलाली और भ्रष्टाचार के संदेह में कई फर्म काली सूची में दर्ज हो गई तथा सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण का काम पिछड़ गया। दलाली के संदेह में या उसकी पुष्टि होने के बाद हथियारों के कई सौदे रद्द किए जा चुके हैंअत्यावश्यक रक्षा उपकरण और हथियारों की खरीद में देरी से हमारी रक्षा तैयारियों पर बुरा असर पड़ रहा है। अगली सरकार को इस अत्यावश्यक मामले को पहली प्राथमिकता देनी होगी। इस बारे में राजग और संप्रग दोनों की ही सरकारों का रिकार्ड खराब रहा है। आधुनिक उपकरणों की कमी के करण हमारी युद्ध क्षमता पर गंभीर असर पड़ा है। यदि हमारे दुश्मनों में से कोई युद्ध छेड़ दे तो हमें बहुत महंगा पड़ सकता है। कुप्रबंधन और घोटालों के कारण कई महत्वपूर्ण सौदे नहीं हो पाए जिससे हमारी रक्षा क्षमता दांव पर लग गई। दलाली और भ्रष्टाचार के संदेह में कई फर्म काली सूची में दर्ज हो गई तथा सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण का काम पिछड़ गया। दलाली के संदेह में या उसकी पुष्टि होने के बाद हथियारों के कई सौदे रद्द किए जा चुके हैं। इनमें उल्लेखनीय हैं- 197 हल्के हेलीकाप्टरों की खरीद का एक अरब डालर का यूरोकाप्टर सौदा, दक्षिण अफ्रीकी डेनेले एंटी मेटीरियल राइफल डील और गोलाबारू द तोपखाना संयंत्र सौदा। इन फैसलों के कारण पुराने उपकरणों की जगह होवित्जर तोप की बेहद जरू री खरीद में देरी हुई। विभिन्न आकलनों के अनुसार अगले दशक में भारतीय सेना को तीन हजार से अधिक 155 मिलीमीटर वाली तोपों की जरू रत होगी। यदि इनकी खरीद का सौदा जल्द नहीं हुआ तो तोपों की बेहद किल्लत हो जाएगी, जिनकी किसी भी युद्ध में अहम भूमिका रहती है।वायुसेना को कम से कम 22 हेलीकाप्टरों की अविलंब जरू रत है, लेकिन इनके मोल-तोल पर बातचीत ठप पड़ी है। इसी तरह थल सेना को हल्के बहुउपयोगी हेलीकाप्टरों की जरू रत है, लेकिन वैल हेलीकाप्टर कंपनी से सौदा तय नहीं हो पाया है, जिसका कारण जटिल प्रक्रिया और हमारे नियमों में 50 प्रतिशत मुआवजे (आफ सैट) का प्रावधान है। बताया जाता है कि अब सरकार की तीनों सेनाओं के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने का एकमुश्त सौदा करने की मंशा है। स्पष्ट है कि इससे सौदा और टलेगा। यूरोकॉप्टर सौदा रद्द हुए दो वर्ष तो बीत ही चुके हैं और हम तनिक भी आगे नहीं बढ़ रहे हैं। आधुनिक हेलीकाप्टर बेड़े की कमी बहुत बड़ी कमजोरी है। ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में सैनिकों व रसद की आवाजाही में इनकी अहम भूमिका रहती है। पुराने हेलीकॉप्टर जरू रतों को पूरा नहीं कर पाएंगे और युद्ध भड़क जाए तो हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। वर्तमान चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों की जगह वर्ष 2011 तक नए हेलीकॉप्टर को ले लेनी है। हम इनका सौदा नहीं कर सैनिकों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। चीता और चेतक हेलीकॉप्टर पुराने पड़ चुके हैं और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में ये ढुलाई में पूर्ण सक्षम नहीं रहेंगे।नए हल्के लड़ाकू विमान 2002 तक ही खरीद लेने का लक्ष्य था। इन्हें अगले दो वर्ष में वर्तमान मिग-21 विमानों की जगह लेनी थी। खरीद में विलंब से हमारी रक्षा तैयारियों पर पुरा असर पड़ रहा है। विमान वाहक जहाजों की खरीद नहीं हो पाने के कारण नौसेना की रक्षा तैयारियां बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। मुख्य रू प से रू स के साथ गोर्शकोव विमान वाहक जहाज सौदा अटकने के कारण यह देर हो रही है। कुछ सूत्रों के अनुसार पुराने रू सी विमान वाहक जहाजों के आधुनिकीकरण की लागत पर विवाद के कारण सौदे में देरी हो रही है और लागत भी बढ़ती जा रही है। इस सौदे से जुड़ी एक अन्य समस्या यह है कि रू स के साथ एटमी पनडुब्बी सौदा अधरझूल में पड़ा है। इससे गहरे समुद्र में हमारी युद्ध क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। कई विशेषज्ञों को पुराने विमान वाहक जहाजों पर इतना भारी भरकम खर्च नागवार लग रहा है। इनकी निगाह कोचीन में प्रस्तावित विमान वाहक जहाज कारखाने पर है, जो तय कार्यक्रम के अनुसार 2014 से विमान वाहक जहाज उपलब्ध करा सकेगा।यह कथा है बड़े हथियार सौदों में विलंब की, लेकिन सैनिक को तो आधुनिक युद्ध लड़ने के लिए समुचित हथियारों की जरू रत है। इस ओर हमें घ्यान देना होगा। हमें रात के अंधेरे में युद्ध के लिए प्रौद्योगिकी प्राप्त करनी है। घुसपैठ का मुकाबला करने के लिए आवागमन के बेहतर साधनों की जरू रत है। भावी युद्धों में अपारंपरिक हल्के उपकरण अधिक उपयोगी होंगे, बेहतर संचार प्रणाली की जरू रत होगी और बेहतर आवजाही के लिए हल्के हेलीकॉप्टरों की जरू रत पड़ेगी। हमें दोनों ही तरह के युद्ध के लिए सन्नद्ध रहना होगा। लेकिन सरकारें इस पहलू की निरंतर अनदेखी करती रही हैं।अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि इसी कारण पाकिस्तान और भारत की सेनाओं में श्रेष्ठता का अंतर घट गया है। लगातार कई सरकारों द्वारा इस ओर समुचित घ्यान नहीं देने के कारण ऎसी खतरनाक स्थिति पैदा हुई है। यदि यही हाल बदस्तूर जारी रहा तो हम न पाकिस्तान का युद्ध में मुकाबला कर पाएंगे और न समय आने पर चीन का, हालांकि मीडिया और देश के नेता भारत के महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर होने का हल्ला तो खूब मचाते हैं।आधुनिक हथियारों की कमी के कारण यदि किसी युद्ध में प्रतिकूल नतीजे रहे तो वह अनर्थकारी सिद्ध होंगे। इतनी विशाल सेना रखने का हमारा मकसद ही विफल हो जाएगा। दूसरी ओर हमारे दुश्मन और आक्रामक नीतियां अपनाने लगेंगे।हमारे पास पाकिस्तान की तुलना में बहुत अधिक परमाणु हथियार हैं, लेकिन हम स्वयं घोषित कर चुके हैं कि इनका पहले उपयोग हम नहीं करेंगे। यह किसी आक्रमण के विरूद्ध नुकसानदायक रहेगा। इसकी भरपाई हमें ज्यादा परमाणु हथियार तैयार कर और अधिक आधुनिक हथियार खरीद कर करनी होगी।
अफसर करीम [लेखक भारतीय सुरक्षा सलाहकार परिषद के सदस्य रहे हैं]
स्त्रोत : http://www.patrika.com/article.aspx?id=10140

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित